संभावना लेखिका मंजुला बिष्ट के पास अत्यंत तरल भाषा एवं सूक्ष्म ऑब्जर्वेशंस हैं ,जो कहानी के कहन को प्रभावी तथा वातावरण को जीवंत बनाते हैं । चरित्रों के मनोविज्ञान की बारीक पकड़ , उनके अंतर्विरोधों को गहराई से रेखांकित करने में सहायक है । लेखिका अपनी इन सभी खूबियों का ' विभाजित अंधेरे' में स्त्री संसार के अंधेरे कोनों के मूक साझाकरण की प्रक्रिया में आए अवरोधों की पड़ताल में बेहद खूबसूरती से उपयोग करती हैं । दूसरे फलक पर यह अस्तित्व के युद्ध की संवेदनहीन भूमि पर मानवीय भावनाओं के अंकुरण के लघु प्रयास की भी कहानी है । साथ ही यह स्त्री मनोभावों के दो अलग-अलग समांतर संसार के बीच की अंतः क्रिया की सीमाओं एवं शक्तियों को भी उजागर करती है । विभाजित अंधेरे मंजु ला बिष्ट वह मई माह की एक ऊबी हुई दुपहरी थी।सूरज आदतन अपनी तासीर बढ़ा रहा था।खुले आसमान तले भावी तीख़ी तपन से बच...
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