पिछले दिनों एक प्रसंग तो मुझे चांद चाहिए के लेखक सुरेन्द्र वर्मा को लेकर सोशल मीडिया पर चली बहस थी जिसमें उन्होंने कथित रूप में किसी शोधार्थी से साक्षात्कार के लिए पैसे मांग लिए थे। इस पर पक्ष- विपक्ष में बहस से ज्यादा मुझे ममता कालिया का अभिमत ज्यादा मौजू लगता है कि ऐसा शायद उन्होंने उस शोधार्थी से पीछा छुडाने के लिए किया हो। लेकिन मेरा सरोकार एक दूसरे प्रसंग से है। कुछ समय पहले अभिनेत्री सविता बजाज की टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक खबर आयी थी जिसमें वे बहुत व्यथित होकर कह रही थीं कि पहले कोरोना और फिर उसके प्रभाव से हुई बीमारी के उपचार में उनकी पूरी बचत समाप्त हो गयी है। बहरहाल, इस खबर का असर हुआ और फिल्म राइटर्स एसोसिएशन तथा सिन्टा सहित कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आये। अभी सिन्टा की ओर से अभिनेत्री नूपुर अलंकार उनकी बहुत अच्छे से देखभाल कर रही हैं। वे अपनेकिराये का फ्लैट छोडकर नूपुर की बहिन के घर रह रही हैं। मुझे चांद चाहिए के कथानक की पृष्ठभूमि दिल्ली का नेशनल स्कूल आफ ड्रामा, रंगमंच और मुम्बई का फिल्म - जगत है। यह भी कहा गया था कि यह एनएसडी की ही एक अभिनेत्री की सच्ची कहानी पर आधारित है।...
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