कवि-कविता जटिल यथार्थ को पहचानने वाले स्पष्ट दृष्टिबोध के कवि : आर.चेतनक्रान्ति ■ कैलाश मनहर यह एक निर्विवाद सच्चाई है कि हमारे समय की कविता में सामाजिक यथार्थ की जटिलतायें,राजनैतिक विरोधाभास और छद्म,तथा पूँजीवादी वर्ग चरित्र के षड़यन्त्र पूरी सावचेती के साथ अभिव्यिक्त हो रहे हैं | सभ्यता के विकास के नाम पर आगे बढ़ने का ढोंग करते इस वैश्विक समाज में मानवीय जीवन की चाबी एक प्रकार के छलपूर्ण और प्रायोजित प्रबंधन के हाथों में दिखाई दे रही है जिसमें मनुष्य,प्रकृति और तमाम संवेदनाओं एवं भावनाओं तक को उत्पादकतामूलक उपयोगितावाद के कारागार में क़ैद कर दिया गया है | उपयोगितावाद हमारे समय की सबसे बड़ी त्रासदी है और जो इस उपयोगितावाद के लक्ष्य की पकड़ में नहीं आ पा रहा है,उसे बिल्कुल निरर्थक मानते हुये अस्वीकार कर दिया जाता है | सभ्यता के विकास की इस कपटपूर्ण चालाकी और सामाजिक यथा...
संस्कृति केंद्रित पत्रिका